Thursday, December 20, 2007

सुनो यारों मेरी ZINDAGI का फलसफा "

१। यह क्या हुआ कैसे हुआ ,कब हुआ , क्यों हुआ छोडो , यह ना सोचो
२ साला मेरा तो G4C में जब लग गया | मैं तो इंजिनियर से एजेंट बन गया | यह हाल मेरा देखो , यह चाल मेरी देखो जैसे आसमान से gira खजूर मैं जाकर अटका |
३ ये BPO ये G4C मेरे काम की नही , kyunkee यहाँ काम ही नही ||
४ रोते हुए यहाँ आते हैं सब, भगवान को याद करते हुए यहाँ से जाते हैं सब | हँसता हुआ जो यहाँ से जाएगा वो
तो पागल हे यारों कहलाएगा |

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